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Tuesday 31 July 2012

रक्षाबंधन के पवित्र शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन के पवित्र शुभ मुहूर्त


किसी भी कार्य की शुरुआत अच्छे मुहूर्त में करना चाहिए। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य का परिणाम भी अच्छा आता है। भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर मंगल मुहूर्त में राखी बांधती है, उससे भाई की उन्नति, आयु व आय में वृद्धि होती है।

राखी के दिन ब्राह्मण बंधु जनेऊ (यज्ञोपवित्र) बदलते हैं, यह श्रावणी कर्म कहलाता है। इस बार जनेऊ बदलने का मुहूर्त- सुबह 06.32 से 8.44 तक (कर्क लग्न) है।

Raksha Bandhan ke Muhurt

रक्षाबंधन के पवित्र मुहूर्त :
सुबह 6 से 7.30

दोपहर में 12.05 से 03.00

शाम 04.31 से 07.32 तक।

लग्न अनुसार : -
सिंह लग्न - 6.33 से 08.45

कन्या - 08.45 से 10.58

धनु - 03.36 से 05.35

कुंभ - शाम 07.20 से 08.55

मेष - 10.25 से 12.05 तक रहेगा।

Monday 30 July 2012

राशि अनुसार क्या बांधे भाई की क़लाई पर

राशि अनुसार क्या बांधे भाई की क़लाई पर--> रक्षा-बंधन भाई-बहन के प्रेम का ही नही,आत्म-विस्वास वाला त्यौहार है! बहन अपने भाई के सिर
पर तिलक लगाकर उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है,एवं हाथ में राखी रूपी प्यार का डोरा बांधकर अपनी रक्षा की भाई से प्रार्थना करती है!
ये ऐसा  त्यौहार है, जिसमे भाई-बहन अपने  पवित्र रिश्ते के लिए जन्म-जन्मान्तर के लिए एक- दुसरे की ख़ुशी,उन्नति,लम्बी आयु की कामना करते
है !
       स्वयम माँ लक्ष्मी द्वारा राजा बलि को यह राखी बंधन बांधा गया था ! तब से  यह पवित्र त्यौहार राखी के रूप में मनाया जाता है! राशि अनुसार  बहिने अपने भाई  की कलाई पर क्या बांधे  --------------
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  1. मेष---> मेष राशि वाली बहने अपने भाई को मालपुए खिलाये एवं लाल डोरे से निर्मित राखी बांधे!
  2. वृषभ--> वृषभ राशि वाली बहने अपने भाई को दूध से निर्मित मिठाई खिलाये एवं सफ़ेद रेशमी डोरे वाली राखी बांधे!
  3. मिथुन--> मिथुन राशि वाली बहने अपने भाई को बेसन से निर्मित मिठाई खिलाये एवं हरे डोरे वाली राखी बांधे!
  4. कर्क--> कर्क राशि वाली बहने अपने भाई को रबड़ी  खिलाये एवं पीली डोरे वाली राखी बांधे!
  5. सिंह--> सिंह राशि वाली बहने अपने भाई को रस वाली मिठाई खिलाये एवं पचरंग डोरे वाली राखी बांधे!
  6. कन्या--> कन्या राशि वाली बहने अपने भाई को मोतीचूर के लड्डू खिलाये एवं गणेश जी के प्रतिक वाली राखी बांधे!
  7. तुला--> तुला राशि वाली बहने अपने भाई को हलवा या घर में निर्मित मिठाई खिलाये एवं रेशमी हल्के पीले डोरे वाली राखी बांधे!
  8. वृश्चिक--> वृश्चिक राशि वाली बहने अपने भाई को गुड से बनी मिठाई खिलाये एवं गुलाबी डोरे वाली राखी बांधे!
  9. धनु--> धनु राशि वाली बहने अपने भाई को रसगुल्ले खिलाये एवं पीले व सफेद डोरे से निर्मित राखी बांधे!
  10. मकर--> मकर राशि वाली बहने अपने भाई को बालूशाही खिलाये एवं काले डोरे वाली राखी बांधे!
  11. कुम्भ--> कुम्भ राशि वाली बहने अपने भाई को कलाकंद खिलाये एवं नीले डोरे वाली राखी बांधे!
  12. मीन--> मीन राशि वाली बहने अपने भाई को मिल्ककेक खिलाये एवं पीले व नीले डोरे वाली राखी बांधे!

Wednesday 25 July 2012

प्रणब मुखर्जी : शुभ ग्रह बना रहे हैं राष्ट्रपति

 

प्रणब मुखर्जी का जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है, इसी नक्षत्र ने प्रणब को धैर्यवान, बुद्धिवान एवं प्रखर सोच वाला बनाया। मृगशिरा नक्षत्र के प्रभाव के कारण मुखर्जी राजनीति में आए।

प्रणब के जन्म के समय सूर्य वृश्चिक राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जिसने प्रणब दा को लोक-विख्यात बनाया। मंगल ने परिवारिक सुख एवं आर्थिक सुख दिया। गुरु एवं शुक्र ने आर्थिक सुख के साथ-साथ क्षमावान बनाया।

जन्म कुंडली में शनि कुंभ का होने से देश के प्रथम नागरिक तक का सफर प्रणब मुखर्जी ने तय किया। प्रणब का जन्म मंगल की महादशा में हुआ है। वर्तमान में केतु की महादशा चल रही है। केतु की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है, जो कि 16.2.2012 से 13.2.2013 तक रहेगी।
प्रणब का बुध लग्नेश में बैठा है, अत: इस अवधि में पद का शपथ ग्रहण फलीभूत होगा। 25.7.2012 को आनंद योग है, सुबह हस्त नक्षत्र 09.43 तक रहेगा, फिर चित्रा नक्षत्र रहेगा यह प्रणब दा के लिए फायदेमंद रहेगा। साथ ही 25 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग है, अत: इस शुभ मुहूर्त में देश के नए राष्ट्रपति का पद ग्रहण करना लाभप्रद रहेगा।

इस दौरान देश को नई उच्चाइयां मिलेंगी। जिसके सारे ग्रह उच्च के हों ऐसे व्यक्तित्व के हाथ में देश की बागडोर रहने से देश की यकीनन उन्नति होगी। आंतक पर नियंत्रण होगा। बाहरी विरोधी पर प्रभाव पड़ेगा। देश की राजनिति पर सीधा असर पड़ेगा।

25 जुलाई को नक्षत्र एवं योग के साथ चन्द्र की स्थिति, सूर्य की स्थिति प्रणब के अनुकूल रहने से देश को एक अच्छा राष्ट्रपति मिलेगा। शनि प्रणब को घमंडी बना सकता है, इसका उन्हें विशेष ध्यान देना होगा। किसी भी गंभीर मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए बुध अच्छा सहयोग देगा। प्रणब मुखर्जी को गणेश आराधना करना चाहिए।


महेंद्र सिंह धोनी

 

महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची शहर में हुआ। उनके जन्म के समय उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र चल रहा था, जिसने आपको देश का सर्वोच्च क्रिकेट खिलाडी़ बनाने के साथ-साथ भारतीय टीम की कप्तानी का मौका भी दिया। इतना ही नहीं देश-विदेश में ख्याति भी दिलाई।

जन्म के समय सूर्य मिथुन राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जिसने आपको आर्थिक संपन्न बनाया एवं कुंडली में बैठे सूर्य की स्थिति ने आपका भाग्योदय किया। सिंह के चंद्र ने मान-सम्मान दिलाया। कुंडली में चंद्र की स्थिति के प्रभाव से आपने अपने पराक्रम से धन एवं ख्याति अर्जित की। यह पारिवारिक सुख भी प्रदान करता है।

मंगल का शुक्र राशि में स्थित होने से दयावान स्वभाव का बनाता है। धोनी की कुंडली में बुध स्व-राशि मिथुन में विराजमान है, अत: यह धनवान एवं बुद्धिमान बनाता है। बुध की स्थिति अन्य कष्टों को भी दूर करती है।

गुरु भी वैभव प्रदान करता है। परंतु जातक हर समय कुछ न कुछ होते हुए भी असंतुष्ट रहता है। शुक्र भी आपको संपन्न बनाता है। पत्रिका में विराजित शनि के प्रभाव के कारण ही आपने माता-पिता एवं परिवार का नाम उज्ज्वल किया। आगे भी शनि की स्थिति उन्नति कराएगी।

आपके जन्म के समय शनि कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, जिसने आपको भारतीय टीम का कप्तान बनाया। कुंडली में राहु की स्थिति के कारण आप विपक्ष टीम को परास्त करने की क्षमता रखते है अर्थात् टीम को जीत दिलाने में राहु का योगदान रहा है। केतु के कारण आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है, गुर्दा से संबंधित तकलीफ हो सकती है, अत: ध्यान रखें।

जब भी कभी घोड़े की सवारी का मौका आए तो ध्यान रखें, इससे खतरा हो सकता है। आपके लिए राहु-केतु की शांति कराना बहुत फायदेमंद रहेगी। अत: अवश्य ही यह करना चाहिए।

महेंद्र का जन्म सूर्य की महादशा में हुआ है। जिसका भोग्यकाल 5 वर्ष 9 माह 21 दिन रहा। वर्तमान में राहु की महादशा चल रही है, जिसका प्रारंभ 28/4/2004 से हुआ है एवं 28/4/2022 तक रहेगी। राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा 10/4/2012 तक रहेगी, सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है एवं बुध की अंतर्दशा में बुध की प्रत्युंतर दशा 20/8/2012 तक चलेगी। इस दौरान गणेश की आराधना लाभप्रद रहेगी।

आपके लिए आगामी समय में अगस्त 2012 का समय ठीक ही रहेगा, सितंबर-अक्टूबर मध्यम रहेगा, नवंबर-दिसंबर अच्छा रहेगा। लेकिन जनवरी 2013 भाग्य में नया मोड़ ला सकता है। फरवरी-मार्च 2013 अनुयायी प्रशंसक का नया उत्साह आपके प्रति उभरेगा। मई-जून 2013 आपके लिए कष्ट वाला हो सकता है। पन्ना एवं पुखराज का संयुक्त लॉकेट धारण करना फलदाई रहेगा।

श्रावण में राशि अनुसार करें शिव आराधना




गुरु का परिभ्रमण

गुरु का परिभ्रमण -->चन्द्र कुंडली अनुसार जब गुरु परिभ्रमण पर रहते है,किस स्थान पर क्या परिणाम देते है,एवं उनसे क्या लाभ या हानि होती है!
जानिये!
प्रथम भाव में-->आर्थिक कष्ट चिंताए घेरती है,यात्रा होती है! परन्तु रिश्तेदारों से मनमुटाव होता है!
ध्दितीय भाव में--> घर में ख़ुशी आती है,अविवाहित का विवाह होता है,एवं ग्रहस्थी वाले के घर बच्चे का जन्म होता है,धन की प्राप्ति होती है!
अर्थात पूर्ण सुख मिलाता है! इसी के साथ शत्रुयो का नाश होता है!
तृतीय भाव में--> धन की कमी होती है,रिश्तेदारों से कटुता एवं कार्य में असफलता मिलाती है,बीमारी का भय रहता है,यात्रा में नुकसान होता है,
इसी के साथ स्थान परिवर्तन होता है!
चतुर्थ भाव में-->जातक किसी मित्र या रिश्तेदार से अपमानित होता है,जातक का गलत कार्य के लिय मन विचलित होता है, एवं चोरी का भय
बना रहता है!
पंचम भाव में-->राजकार्य में सफलता मिलाती है,उच्च अधिकारियो से सम्मान मिलता है,एवं जातक को नये पद की प्राप्ति होती है, सन्तान की प्राप्ति होती है,वेरोजगार को नोकरी मिलती है,घर शुभ कार्य होता है, गुरु के पंचम भाव में रहने से जमीन-जायदाद एवं एनी बैभव विलासिता की क्स्तुयो की खरीददारी होती है!
षष्टम भाव में--> घर में झगड़े होते है,रिश्तेदारों से मान मुटाव की स्थिति उत्पन्न होती है! एवं धन होती हा!
सप्तम भाव में--> परिवार में ख़ुशी आती है,शादी व नये सम्बन्ध होते है,धन की प्राप्ति होती है,बाहन सुख तथा बच्चे का जन्म होता है!
अष्टम भाव में-->कई प्रकार के कष्ट देता है!
नवम भाव में--> ज्ञान के साथ कार्य करने की दक्षता बदती है!
दशम भाव में--> बीमारी धन हानि होती है! जायदाद का नुकसान होता है, स्थान परिवर्तन होता! अर्थात जीवन कष्टमय हो जाता है!
एकादश भाव में--> जीवन में खुशिया आती है,धन की प्राप्ति होती है,भूमिहीन को भूमि मिलती है,अविवाहित का विवाह होता है!एवं ग्रहस्थी वाले
के घर बच्चे का जन्म होता है!
ध्दाद्श भाव में--> कष्टप्रद जीवन होता  है! मानसिक शारीरिक,बोध्दिक कष्ट होता है! 
गुरु विपरीत परिणाम दे तो, गुरु शांति करना हाहिये,एवं गुरु का दान लक्ष्मी-नारायण मंदिर में या किसी गुरु को दे!
गुरु का यह दान है--> पीला कपड़ा, चने की दाल,सोने की वस्तु हल्दी की गाँठ,पीला फुल,पुखराज,पुस्तक,शहद,शक्कर,भूमि छाता इत्यादी देना चहिये! ,








Wednesday 18 July 2012

गुरु का परिभ्रमण

गुरु का परिभ्रमण

गुरु का परिभ्रमण -->चन्द्र कुंडली अनुसार जब गुरु परिभ्रमण पर रहते है,किस स्थान पर क्या परिणाम देते है,एवं उनसे क्या लाभ या हानि होती है!
जानिये!
प्रथम भाव में-->आर्थिक कष्ट चिंताए घेरती है,यात्रा होती है! परन्तु रिश्तेदारों से मनमुटाव होता है!
ध्दितीय भाव में--> घर में ख़ुशी आती है,अविवाहित का विवाह होता है,एवं ग्रहस्थी वाले के घर बच्चे का जन्म होता है,धन की प्राप्ति होती है!
अर्थात पूर्ण सुख मिलाता है! इसी के साथ शत्रुयो का नाश होता है!
तृतीय भाव में--> धन की कमी होती है,रिश्तेदारों से कटुता एवं कार्य में असफलता मिलाती है,बीमारी का भय रहता है,यात्रा में नुकसान होता है,
इसी के साथ स्थान परिवर्तन होता है!
चतुर्थ भाव में-->जातक किसी मित्र या रिश्तेदार से अपमानित होता है,जातक का गलत कार्य के लिय मन विचलित होता है, एवं चोरी का भय
बना रहता है!
पंचम भाव में-->राजकार्य में सफलता मिलाती है,उच्च अधिकारियो से सम्मान मिलता है,एवं जातक को नये पद की प्राप्ति होती है, सन्तान की प्राप्ति होती है,वेरोजगार को नोकरी मिलती है,घर शुभ कार्य होता है, गुरु के पंचम भाव में रहने से जमीन-जायदाद एवं एनी बैभव विलासिता की क्स्तुयो की खरीददारी होती है!
षष्टम भाव में--> घर में झगड़े होते है,रिश्तेदारों से मान मुटाव की स्थिति उत्पन्न होती है! एवं धन होती हा!
सप्तम भाव में--> परिवार में ख़ुशी आती है,शादी व नये सम्बन्ध होते है,धन की प्राप्ति होती है,बाहन सुख तथा बच्चे का जन्म होता है!
अष्टम भाव में-->कई प्रकार के कष्ट देता है!
नवम भाव में--> ज्ञान के साथ कार्य करने की दक्षता बदती है!
दशम भाव में--> बीमारी धन हानि होती है! जायदाद का नुकसान होता है, स्थान परिवर्तन होता! अर्थात जीवन कष्टमय हो जाता है!
एकादश भाव में--> जीवन में खुशिया आती है,धन की प्राप्ति होती है,भूमिहीन को भूमि मिलती है,अविवाहित का विवाह होता है!एवं ग्रहस्थी वाले
के घर बच्चे का जन्म होता है!
ध्दाद्श भाव में--> कष्टप्रद जीवन होता  है! मानसिक शारीरिक,बोध्दिक कष्ट होता है! 
गुरु विपरीत परिणाम दे तो, गुरु शांति करना हाहिये,एवं गुरु का दान लक्ष्मी-नारायण मंदिर में या किसी गुरु को दे!
गुरु का यह दान है--> पीला कपड़ा, चने की दाल,सोने की वस्तु हल्दी की गाँठ,पीला फुल,पुखराज,पुस्तक,शहद,शक्कर,भूमि छाता इत्यादी देना चहिये! ,





Friday, June 1, 2012

जून २०१२ ज्योतिष की नजर

जून २०१२ ज्योतिष की नजर -->माह की कुंडली में केंद्र में पाँच ग्रह एक साथ बैठे है, इसके प्रभाव से पृथ्वी पर अशांति कलह भय का वातावरण
रहेगा! वाहन दुर्घटना,आतंकवाद,रेल दुर्घटना का भय रहेगा!  शुक्र के कारण पृथ्वी पर थोड़ी शांति आ सकती है.इस माह सोने का भाव स्थिर रहेगा. चाँदी के भाव में थोड़ा उतार-चढाव रहेगा! जानवरों पर कष्ट रहेगा, स्त्री को पीड़ा रहेगी, कही जलप्लायण,कही गर्मी  से लोंग परेशान होंगे!

राष्ट्रविरोधी तत्व मुखर होंगे एवं अशांति एवं भय का वातावरण बनेगा! इराक,इटली,अमेरिका,हालैंड,जर्
मनी,ईरान,पोलैंड,भारत इस योग से प्रभावित होंगे! धान्य का प्राकृतिक कारणों से नुकशान होंगा! बुध का राशि परिवर्तन करने सेचंदी महंगी होने की सम्भावना बनती है,१५ मई
को सूर्य अपनी राशि बदलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेगा, जिसके परिणाम स्वरूप पश्चिम के देशो में सुर्भिक्ष आदि शुभ फलो का सुख होगा,
पूर्व तथा उत्तर के देशो कष्ट अशांति तथा दक्षिन के में युध्द आदि का भय बना रहेगा!
इस माह की कुंडली  को आकाशीय द्रष्टि से देखा जाये तो,तेज गर्म वायु से लोंग त्रस्त रहेंगे! प्राकृतिक प्रकोप,आंधी-तूफान से कुछ भागो में लोंग ज्यादा त्रस्त रहेंगे !  केतु-मंगल शनि की स्थति को देखे तो,तेज वायु के साथ कही-कही वर्षा भी होंगी! या तेज बदल के साथ बुन्दवंदी भी होगी!आसाम,महाराष्ट्र,उड़ीसा,केरल,में कही-कही अच्छी वर्षा भी होंगी!  

जून २०१२ में ध्दाद्श राशियों का फलादेश

जून २०१२ में ध्दाद्श राशियों का फलादेश --मेष-->मेष राशि वाले जातको के लिए यह माह सामान्य रहेगा! व्यापार मध्यम रहेगा,कृषि सामान्य फल देगी, मासिक पीड़ा रहगी, शारीरिक  कमजोरी रहेगी, वाहन एवं यात्रा से कष्ट के योग है,साबधानी रखे! फिजूल खर्च  बढ़ेगा ! व्यवहार से पूर्ण सफलता मिलेगी! दिनांक ५.१० शुभ है,२३ अशुभ है! रामरक्षास्त्रोत का पाठ फायदेमंद रहेगा!
वृषभ--> वृषभ राशि वाले जातको के लिए यह माह कोर्ट-कचहरी में सफलता वाला रहेगा!  परिवार में सुख मिलेगा! व्यापार अच्छा  रहेगा,कृषि ठीक
रहेगी, नॉकरी में उन्नति होगी! यात्रा के योग है, शत्रु पक्ष से निजात मिलेगी! ३,१५ शुभ है, १० अशुभ है! शिव आराधना शुभ है!
मिथुन--> मिथुन राशि वाले जातको के लिए यह माह लाभ वाला रहेगा! विधार्थी को सफलता मिलेगी,शिक्षा की स्थिति मजबूत होगी, पत्नि को कष्ट रहेगा, शत्रु पराजित होंगे! व्यापार लाभ देगा, कृषि लाभप्रद रहेगी, नोकारी में सफलता रहेगी!  दिनांक १७,२६ शुभ है, ५ अशुभ है! शिव शक्ति आराधना लाभप्रद रहेगी!
कर्क--> कर्क राशि वाले जातको के लिए यह माह जमीं जायदाद से लाभ वाली रहेगी! व्यापार मध्यम रहेगा,नॉकरी में अधिकारी खुश रहेंगे! विधा के कार्य में परेशानी आएगी,पारिवारिक कलह रहेगा,नेत्र पीड़ा के योग बनते है, ध्यान रखे! दोस्त से सहायता मिलेगी! दिनांक ११, १८ शुभ है, ४ अशुभ है! शिव शक्ति आराधना शुभ है!
सिंह--> सिंह राशि वाले जातको के लिए यह माह पराक्रम वृध्दि वाला रहेगा! पारिवारिक सुख में वृध्दि होगी, वाहन सम्वन्धी सुख मिलेगा, बिधार्थी को सफलता मिलेगी! व्यापार मध्यम रहेगा, कृषि लाभ देगी, नॉकरी में सफलता मिलेगी! रिश्तेदार से सहायता मिलेगी! १८,२२ शुभ है,
२९ अशुभ है! श्री कृष्ण की आराधना शुभ है!
कन्या--> कन्या राशि वाले जातको के लिए यह माह सामाजिक कार्यों से लाभ वाला रहेगा! व्यापार ठीक रहेगा, कृषि में सफलता मिलेगी, नॉकरी
में उन्नति होगी! रिश्तेदारों से मतभेद के योग बनते है, सावधानी से कार्य करे! शत्रु पक्ष का  ध्यान रखे, सावधान रहें! किसी दोस्त से सहायता
मिलेगी! दिनांक ५,१५ शुभ है, २७ अशुभ है! राधा-कृष्ण आराधना चलने दे, लाभप्रद है!
तुला-->तुला राशि वाले जातको के लिए यह माह राजनीतिक क्षेत्र में सफलता वाला रहेगा! व्यापार  में लाभ मिलेगा, कृषि में हानि के योग है,
नॉकरी में अधिकारी खुश रहेगा! बिधार्थी को लाभ मिलेगा, पत्नि को कष्ट रहेगा, धन हानि के योग है! संगति सोचकर करे हानि हो सकती है! दिनांक १४,२८ शुभ है, १० अशुभ है! रामसीता की भक्ति लाभप्रद रहेगी!
वृश्चिक--> वृश्चिक राशि वाले जातको के लिए यह माह सामान्य रहेगा! पारिवारिक कलह के योग है, सावधानी से व्यवहार करे, शारीरिक कष्ट रहेगा,यात्रा से हानि होगी, विधा में अड़चन आएगी, पत्नि को कष्ट के योग, व्यापार मध्यम रहेगा,कृषि सामान्य रहेगी, नॉकरी में परेशानी आ
सकती है ध्यान से करे! किसी मित्र से सहयोग मिलेगा! दिनांक २,८ शुभ है, २४ अशुभ है! राम आराधना शुभ है!
धनु--> धनु राशि वाले जातको के लिए  यह माह संतान सुख वाला रहेगा ! विधार्थी को सफलता मिलेगी, वाहन से लाभ मिलेगा, समाज में सम्मान होगा, आर्थिक स्थिति में सुधार होगा! किसी पुराने मित्र से मिलन होगा! दिनांक ८,१६ शुभ है,१७ अशुभ है! शिव-शक्ति की आराधना शुभ है!
मकर--> मकर राशि वाले जातको के लिए यह माह पूर्ण सफलता वाला रहेगा! व्यापार में लाभ मिलेगा,माता से सुख मिलेगा,पारिवारिक सुख में वृध्दि होगी,कार्य क्षेत्र में सफलता मिलेगी! इसी के साथ स्थान-परिवर्तन के योग है! नॉकरी में उन्नति होगी, कृषि मध्यम रहेगी! दिनांक ३,१८ शुभ है,७ अशुभ है! देवी आराधना शुभ है!
कुम्भ--> कुम्भ राशि वाले जातको के लिए यह माह तीर्थ यात्रा एवं धर्म लाभ वाला रहेगा! माता-पिता को कष्ट के योग है, जमींन जायदाद से नुकसान होगा! नॉकरी  ठीक रहेगा , व्यापार अच्छा रहेगा! मित्रो से सहयोग मिलेगा! विधार्थी को सफलता मिलेगी! दिनांक ७,२८ शुभ है, २९ अशुभ है! श्री राम, हनुमान सेवा लाभप्रद है!
मीन--> मीन राशि वाले जातको के लिए यह माह आर्थिक लाभ वाला रहेगा! इस माह मांगलिक कार्य में खर्च होगा,व्यापार मध्यम रहेगा, कृषि लाभ देगी, नॉकरी में उन्नति होगी! स्वास्थ्य पीड़ा रहेगी, वाहन से भय रहेगा, यात्रा में कष्ट हो सकता है, अत: आवश्यक न हो तो यात्रा न करे!
दिनांक ५,२० शुभ है, ४ अशुभ है! श्री कृष्ण आराधना लाभप्रद है!  

Monday, May 28, 2012

गृह निर्माण में रखें वास्तु शास्त्र का ध्यान

- सुरेंद्र बिल्लौरे
प्रत्येक परिवार की पहली आवश्यकता होती है, अपना घर। मध्यम वर्ग इस सपने को संजोने के लिए जीवन भर संघर्ष करता है। जिस समय यह सपना सच होने जा रहा हो, तो हमें वह घर पूर्ण रूप से समृद्धि दें, इसका ध्यान रखना चाहिए। अत: वास्तु के अनुसार गृह निर्माण करवाना चाहिए।

किसी भी प्लॉट या भूमि पर गृह निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि भूमि (प्लॉट) के अग्नि कोण में पाक गृह (रसोई गृह), दक्षिण में शयन गृह, नैऋत्य कोण में अस्त्र-शस्त्रागार, पश्चिम में भोजन करने का गृह, वायव्य कोण में धन रखने का गृह, ईशान में देवालय एवं उत्तर में जल रखने का गृह रखें तथा उत्तर-पूर्व के मध्य बाथरूम होना चाहिए। इसी प्रकार

* दूध, दही, घी, सिरका, अचार का स्थान रसोई के बगल में होना चाहिए। श्रृंगार एवं औषधि सामग्री शयन गृह के बगल में होना चाहिए। विद्यार्थियों के पढ़ने का कमरा देवालय के बगल में होना चाहिए।

* घर के आस-पास बड़, पीपल, इमली, कैथ, नींबू, कांटे वाले एवं दूध वाले वृक्ष नहीं होना चाहिए। इस वृक्षों के घर के आस-पास होने से धन की हानि होती है।

* कुआं एवं जल का स्थान मुख्य द्वार से पूर्व ईशान, उत्तर अथवा पश्चिम में होने से धन प्राप्त होता है। सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।

* अग्निकोण में संतान हानि, दक्षिण में गृहिणी का नाश, नैऋत्य कोण में गृह मालिक का नाश एवं वायु कोण में भय, चिंता बनी रहती है।

* भवन में स्तंभ लगाने की आवश्यकता हो, तो स्तंभ सम संख्या में लगवाना चाहिए। इनकी संख्या यदि विषम हो, तो अशुभ फल देते है।

* पूर्ण रूप से उपरोक्त विधि को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण करने से घर में सुख-समृद्धि, यश, वैभव एवं शांति प्राप्त होती है।

Wednesday, May 23, 2012

कालसर्प कब होता है

 कालसर्प कब होता है --> प्रत्येक जातक की कुंडली में नॉ ग्रहों  की स्थिति  अलग -अलग स्थान पर विराजमान होती है! राहु-केतु भी प्रत्येक की कुंडली में विराजमान रहते है!
जातक की कुंडली में जब सारे  ग्रह  राहु और केतु के मध्य में आ जाये,तब कालसर्प होता है! क्यों होता है, जानिए !
वैद के अध्ययन पर विचार करे, तो राहु का अधिदेवता काल  ओर प्रति 
अधिदेवता सर्प है,जबकि केतु का अधिदेवता चित्रगुप्त एवं प्रति अधिदेवता ब्रम्हाजी है! इस  पर ध्यान दे,या यह 
कहे , कि राहु का दाहिना भाग काल एवं बायाँ भाग सर्प है! इसीलिए राहु  से केतु की ओर कालसर्प योग बनता 
है,केतु से राहु की ओर से कालसर्प नही बनता है! राहु एवं केतु की गति बाममार्गी होने से स्पष्ट होता है, कि सर्प अपने बाई ओर ही मुड़ता है,वह दाई ओर कभी नही मुड़ता ! राहु एवं केतु सर्प ही है,और सर्प के मुँह में 
जहर ही होता है ! जिन जातको की कुंडली में कालसर्प होता है,उनके जीवन में असहनीय पीड़ा होती है! कई 
कालसर्प योग वाले जातक असहनीय पीड़ा झेल रहे है!और कुछ जातक सम्रध्दी प्राप्त कर  आनन्द की जिन्दगी
जी रहे है! इससे यह सिध्द होता है,कि राहु -केतु जिस पर प्रसन्न है,उसको संसार के सारे  सुख सहज में दिला देते है! एवं इसी के विपरीत राहु -केतु (सर्प)
कोर्धित हो जाहे,तो मृत्यु या मृत्यु  के समान कष्ट देते है! श्रष्टि का विधान रहा है,जिसने भी जन्म लिया है,वह 
मृत्यु  को प्राप्त होगा! मनुष्य भी उसी श्रष्टि की रचना में है, अत:मृत्यु तो अवस्यभावी है!उसे कोई  नही टाल  
सकता है परन्तु मृत्यु  तुल्य कष्ट ज्यादा दुखकारी है! जो व्यक्ति आर्थिक सम्पन्नता के मद में चूर हो जाता है,
जिसके कारण वह  माता-पिता अपने आश्रित भाई,बहन का सम्मान करके नही,बल्कि अपनी सेवा करवाकर खुश रहना चाहता है!
एवं उन्हें मानसिक रूप से दुखी करता है, उसी के प्रभाव के कारण उसे अगले जन्म में कालसर्प होता है! 
शास्त्रानुसार जो जातक अपने माता -पिता एवं पितरो की सस्चे मन से सेवा करते है, उन्हें कालसर्प योग अनुकूल प्रभाव देता है! एवं जो इन्हे दुःख देता है,कालसर्प योग उन्हें कष्ट अवश्य  देता है!
कालसर्प के कष्ट को दूर करने के लिए कालसर्प की शांति अवश्य  करना चाहिए ! एवं शिव आराधना करना चाहिये !

Friday, May 18, 2012

सूर्य का चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण

सूर्य का चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण--> प्रत्येक ग्रह परिभ्रमण करते है, एवं कुंडली में अलग-अलग भाव में विराजमान रहते है! सूर्य चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण करते समय अलग-अलग भाव में जातक को क्या फल देता है, जानिये! - पं.सुरेन्द्र


प्रथम भाव--> सूर्य जातक की चन्द्र कुंडली में प्रथम भाव में परिभ्रमण के समय मान-सम्मान में कमी,धन हानि, भय एवं स्वभाव में उग्रता को बढ़ाता है! परिवार से दुरी भी बना सकता है, इसी के साथ जातक को बीमारी का भय बना रहता है!
ध्दितीय भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में ध्दितीय भाव में भ्रमण करता है, जातक को धन-हानि आर्थिक कष्ट परिवार के साथ मतभेद तथा भय देता है!
तृतीय भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में तृतीय भाव में भ्रमण करता है, तो जातक को पद की प्राप्ति,स्वभाव में सुधार,शत्रु पर विजय एवं परिवार में सुख-सम्मान दिलाता है!
चतुर्थ भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में चतुर्थ भाव में भ्रमण करता है, तो जातक को अशांति,क्लेश,बीमारी,आर्थिक कष्ट देता है! इसी के साथ  पत्नि-पति के सम्बन्ध में दुरी बनाता है!
पंचम भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में पंचम भाव में भ्रमण करता है, तो मानसिक बीमारी,अधिकारी से परेशानी,दुर्घटना का भय तथा परिवार से दुरी बनता है!
षष्टम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में षष्टम भाव में भ्रमण करता है, तो खुशिया तथा मानसिक शांति देता है! तथा शत्रुयो का नाश करता है!
सप्तम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में सप्तम भाव में भ्रमण करता है, तो उदर एवं मूत्रालय बीमारी तथा परिवार में आपसी समझ की कमी करता है!
अष्टम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में  अष्टम भाव भ्रमण करता है, तो आकस्मिक घटनाये घटित होने की संभावना बनी रहती है,आर्थिक तंगी,
धन हानि,रोग एवं लड़ाई-झगड़े करता है!
नवम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में  नवम भाव में भ्रमण करता है,तो मानसिक परेशानी,धन हानि, शश्रुयो का बढना, तथा अनायास खर्च,मान-सम्मान में कमी लता है!
दशम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में दशम भाव में भ्रमण करता है,तो इच्छायो की पूर्ति,उपहार,सम्मान तथा सुख शांति देता है! एवं प्रमोशन दिलाता है!
एकादश भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में एकादश भाव में भ्रमण करता है,तो मांगलिक कार्य,नये मित्र एवं सुख की प्राप्ति करता है!
ध्दाद्श भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में इस भाव में भ्रमण करता है,तो मानसिक - हानि, सोच में कमी,आर्थिक हानि, खर्च का बढ़ना,तथा दुर्घटना  का भय रहता है!
  सूर्य जब कष्ट दे, तो आदित्य स्त्रोत का पाठ करे, सूर्य को अर्ग दे !

Tuesday, May 15, 2012

ग्रहों के अशुभ फल

ग्रहों के अशुभ फल  --> प्रत्येक  जातक की कुंडली में  ग्रहों की स्थिति शुभ-अशुभ रहती है, एवं ग्रहों की दशा महादशा भी शुभ-अशुभ फल देती है,
एवं शनि की साढ़े साती भी जातक को शुभ अशुभ फल देती है! परन्तु इन सबके अलावा जातक के कर्म-कुकर्म  के आधार पर भी नवग्रह शुभ-अशुभ फल देते है!जानिये!
सूर्य-->सूर्य कब अशुभ फल देता है, जब जातक किसी भी प्रकार का टेक्स चुराता है, एवं किसी भी जीव की आत्मा को  कष्ट देता है! 
चन्द्र--> चन्द्र अशुभ फल कब देता है,जब जातक सम्मान-जनक स्त्रियों को कष्ट देता है, जैसे- माता,नानी,दादी,सास एवं इनके समान वाली स्त्रियों को कष्ट देता है, किसी से धोके से कोई वस्तु लेने पर भी चन्द्रमा अशुभ फल देता है!
मंगल--> मंगल अभुभ फल कब देता है, जब जातक अपने भाई से झगड़ा करे,भाई के साथ धोखा करे.एवं अपनी पत्नि के भाई का अपमान करे,तो
भी मंगल अशुभ फल देता है!
बुध--> बुध अशुभ फल कब देता है, जब जातक अपनी बहन,बेटी अथवा बुआ को कष्ट देता है, साली एवं मोसी को कष्ट देता है! यदि जातक हिजड़े
को कष्ट देता है, तो भी बुध अशुभ फल देता है!
गुरु-->गुरु कब अशुभ फल देता है, जब जातक पिता,दादा,नाना को कष्ट देता है, अथवा इनके समान पद वाले व्यक्ति को कष्ट देता है! एवं साधू, संतो को देने से भी गुरु अशुभ कष्ट देता है!
शुक्र--> शुक्र कब अशुभ फल देता है, जब जातक जीवन- साथी को कष्ट देता है! घर में गंदे एवं फटे  वस्त्र रखने,एवं ये  पहनने पर भी शुक्र अशुभ
फल देता है!
शनि-->शनि कब अशुभ फल देता है, जब जातक ताऊ,चाचा को कष्ट देता है,मजदुर की पूरी मजदूरी नही देता है.अथवा घर या दुकान के नोकरो को गाली देता एवं शराब, मांस खाने पर भी शनि अशुभ फल देता है! कुछ लोग मकान या दुकान किराये से लेते फिर बाद में खाली नही करते
या खाली करने के लिए पैसे मंगाते है, तो शनि अशुभ फल देता है!
राहू--> राहू कब अशुभ फल देता, जब जातक बड़े भाई को कष्ट देता है,या अपमान करता है! ननिहाल पक्ष का अपमान करने पर एवं सपेरे का दिल दुखाने पर भी राहू कष्ट देता है!
केतु --> केतु कब अशुभ फल देता जब जातक भतीजे,भांजे को कष्ट देता है,या उनका हक छीनता है! कुत्ते को मारने या किसी के ध्दारा कुत्ते को मरवाने पर मंदिर,मंदिर की ध्वजा तोड़ने पर केतु अशुभ फल देता है! किसी की झूठी गवाही देने पर भी राहू-केतु अशुभ फल देते है!
    अत: मनुष्य ने अपना जीवन व्यवस्थित जीना चाहिए, किसी का दिल नही दुखाना चाहिए! न ही किसी के साथ छल कपट करना चाहिए !










माधुरी दीक्षित



माधुरी का जन्म 15 मई 1967 को मुंबई में हुआ। पत्रिका के अनुसार जन्म के समय सूर्य वृश्चिक राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, परिणामस्वरूप माधुरी धनवान एवं हर दृष्टि से सुखी है! यह योग दीर्घसूत्री भी बनाता है।

कुंडली में मंगल की स्थिति माधुरी को पराक्रमी बनाती है। मंगल जन्म के समय मकर राशि पर होने से भी माधुरी आर्थिक रूप से संपन्न है एवं परिवारिक सुख भी भरपूर है।

पत्रिका में स्थित बुध उन्हें कष्टों से बचाता है। जन्म के समय वृषभ का चन्द्रमा होने से वह खूबसूरत हैं एवं चन्द्र उन्हें दयालु बनाता है। वर्तमान में माधुरी की जो प्रसिद्धि है, वह गुरु की वजह से है। गुरु विलासी बनाता है, शुक्र लक्ष्मी सुख देता है। जन्म के समय शुक्र का तुला राशि पर परिभ्रमण जीवन भर सुखी एवं संपन्न बनाता है।

माधुरी को शनि संतान संबंधी तकलीफ दे सकता है। राहु सुख दे रहा है, केतु नेत्र की तकलीफ दे सकता है, अत: ध्यान दें।

माधुरी का जन्म सूर्य की महादशा में हुआ है, जिसका भोग्यकाल 1 वर्ष 2 माह 21 दिन रहा। वर्तमान में गुरु की महादशा चल रही है, जो कि 6/3/2004 से शुरू हुई थी, वह 6/3/2020 तक रहेगी। अभी गुरु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही जो कि 18/1/2012 से 18/9/2012 तक रहेगी।

माधुरी के लिए जून 2012 मध्यम रहेगा। जुलाई-अगस्त अच्छा बीतेगा। सितंबर एवं अक्टूबर 2012 मिश्रित भाग्य वाला रहेगा। दिसंबर कष्ट वाला हो सकता है। जनवरी 2013 ठीक रहेगा। फरवरी 2013 स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ दे सकता है। मार्च-अप्रैल 2013 अच्छा रहेगा। माधुरी को 28/6/2013 से 22/10/2013 तक सोच-विचार कर निर्णय लेना चाहिए। एक गलत निर्णय मुसीबत में डाल सकता है।

दिनांक 5,10,15 तारीख को बड़े निर्णय नहीं लेना चाहिए। 20/10/2013 से 20/12/2013 तक गलत विचार दिमाग में आ सकते है, विशेष ध्यान दें। माधुरी को विशेष तौर पर मूंगा, पुखराज का लॉकेट पहनना चाहिए।

Wednesday, May 9, 2012

भारतीय संस्कृति



भारतीय संस्कृति में भविष्यवाणी या यह कहे, की पुरानि  मान्यता बड़ी फायदेमंद रही है!   तकनीकी रूप से इनका कोई लिखित इतिहास नहीं है लेकिन पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह ज्ञान हस्तांतरित हो रहा है और मानना होगा कि इनके माध्यम से की गई भविष्यवाणियां अचूक सिद्ध होती हैं। प्रस्तुत है,* घर से चलते समय यदि बिल्ली रास्ता काट जाये, तो काम विगड जाता है!

* सामने की छींक लड़ाई-झगड़े को करवा सकती है। पीछे की छींक से  सुख मिलता है।

*

* दाईं तरफ की छींक धन को नष्ट करती है। बाईं तरफ की छींक से सुख मिलता है।


* आलू को सदा कृष्ण पक्ष में बोना चाहिए।

* एक बादल यदि दूसरे बादल में घुसे तो उसी समय पानी बरसे।

* यदि एक ढेले पर बैठकर चील बोले तो भारी वर्षा होगी।

* यदि सावन शुदि (शुक्ला) सप्तमी को आधी रात के समय बादल गरजे और पानी बरसे तो अकाल पड़ेगा।

* चित्रा नक्षत्र की वर्षा प्राय: सारी खेती नष्ट कर देती है।


* यदि एक महीने में दो ग्रहण हो तो राजा या मंत्री की मृत्यु होती है।

Monday, May 7, 2012

गुरु का वृषभ राशी में परिभ्रमण

 वर्तमान में गुरु मेष राशि में परिभ्रमण कर रहा है,१३ मई २०१२ को गुरु अपनी राशि बदलकर मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेगा! अर्थात गुरु 
वृषभ राशि में परिभ्रमण करेगा! इस राशि में परिभ्रमण करने पर गुरु पृथ्वी के जीवो पर, प्रकृति पर, व्यापार पर, राजनिति पर देश में हलचल पर क्या प्रभाव डालता है! जानिये!
गुरु वृषभ राशि में परिभ्रमण करेगा, इसके फलस्वरूप सभी अनाज सस्ते होंगे! पूर्व में सुख की वृध्दि होगी! नेताओं की वुध्दी अच्छी रहेगी!  घी,तेल
मोती,मूँग,नमक,लाल वस्तुए,लाल वस्त्र एवं नारियल सस्ते होंगे! स्त्री  जाति पर पीड़ा रहेगी, कई प्रकार के रोग से तकलीफ बढ़ेगी,जानवरों में हाथी,
घोड़े,गधो को तकलीफ ( कष्ट ) रहेगी! मोर पर भी कष्ट आएगा! उत्तर में अनावृष्टि तथा कई जगह पानी की कमी रहेगी! जुलाई अगस्त में गेहू,चावल,
उड़द,तिल,चना एवं मूँग महंगे होंगे! मई में वर्षा के योग बनेंगे,राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में घी एवं तेल के भाव बढ़ेंगे!  इस क्षेत्र में धान के भाव में भी
उछाल आएगा! धातु  से सम्बन्धित वस्तु सस्ती होगी, मूंगफली के भाव में तेजी आएगी, मालवा एवं नागपुर में अनाज के भाव में अन्य जगह से तेजी रहेगी ! राजनैतिक गति के कारण प्रजा को कष्ट रहेगा! जुलाई,अगस्त में वर्षा अच्छी रहेगी,सितम्बर में वर्षा कम रहेगी! इन महीनो में घी,दूध की
कमी हो सकती है!

Thursday, May 3, 2012

मई 2012 : क्या कहती है आपकी राशि



मेष- (चु, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
मेष राशि वाले जातक के लिए यह माह सफलता वाला रहेगा। घर में कोई मांगलिक कार्य होगा। धन प्राप्त करने में थोड़ी‍ परेशानी आएगी। स्त्री पक्ष से विवाद के योग बनते हैं। स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। दिनांक 3, 18 शुभ है, 7 अशुभ है। श्रीकृष्ण की भक्ति फायदेमंद है।

वृषभ- (ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
वृषभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह कोर्ट-कचहरी में सफलता वाले रहेंगे। धार्मिक कार्य में रुचि बढ़ेगी। विद्यार्थी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। स्त्री पीड़ा के योग हैं। व्यापार अच्छा रहेगा। कृषि लाभप्रद है। नौकरी सामान्य बनी रहेगी। दिनांक 5, 14 शुभ हैं। शिवशक्ति आराधना शुभ है।

मिथुन- (का, की, कु, घ, ड, छ, के, को, हा)
मिथुन राशि वाले जातकों के लिए यह माह पारिवारिक सुख वाला रहेगा। विद्यार्थी को शिक्षा एवं नौकरी पाने में सफलता मिलेगी। पत्नी से लाभ मिलेगा। कार्य में सफलता मिलेगी, परंतु शत्रुओं का भय बना रहेगा। कृषि मध्यम लाभ पहुंचाएगी। व्यापार सामान्य रहेगा। नौकरी में अधिकारी नाराज हो सकते हैं। ध्यान दें। दिनांक 15, 26 शुभ हैं। 3 अशुभ है। रामरक्षा स्तोत्र लाभप्रद रहेगा।

कर्क- (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कर्क रा‍शि वाले जातकों के लिए यह माह भूमि से लाभ वाला रहेगा। नौकरी एवं राजनीति में अधिकारियों से लाभ मिलेगा। किसी विशेष कार्य पर खर्च होगा। विद्यार्थियों को रुकावट आ सकती है। किसी पुराने मित्र से मिलन होगा। कृषि लाभदायक रहेगी। व्यापार वृद्धि होगी। स्त्री से नुकसान हो सकता है, सावधानी बरतें। दिनांक 9, 18 शुभ है, 6 अशुभ है। शिव आराधना लाभप्रद है।

सिंह- (मा, मी, मू, मे, मो, टो, टी, टू, टे)
सिंह राशि वाले जातकों के लिए यह माह पराक्रम में वृद्धि वाला रहेगा। मांगलिक कार्य पूर्ण होंगे। माता-पिता को कष्ट के योग बनते हैं, ध्यान दें। भूमि संबंधी विवाद से हानि हो सकती है। धार्मिक या सामाजिक यात्रा के योग हैं। किसी ‍भी व्यक्ति के कहने में आकर गलत कार्य न करें। व्यापार अच्‍छा रहेगा। कृषि में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेगा। दिनांक 11, 22 शुभ है, 20 अशुभ है। बिष्णुजी की आराधना करना लाभप्रद है।

कन्या- (टो, पा, पी, पु, ष, ण, ठ, पे, पो)

कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह माह संतान सुख वाला रहेगा। बेरोजगार को नौकरी प्राप्त होगी। विद्यार्थी परीक्षा में सफल होंगे। पत्नी को कष्ट के योग हैं, ध्‍यान रखें। पराक्रम में वृद्धि होगी। भाई से सहयोग प्राप्त होगा। पड़ोसी से वाद‍-विवाद के योग बनते हैं, सावधानी से कार्य लें। किसी रिश्तेदार से मुलाकात लाभप्रद वाली होगी। व्यापार शुभ रहेगा। कृष‍ि मध्यम रहेगी। नौकरी में पदोन्नति होगी। दिनांक 1, 12, 18 शुभ है। 23 अशुभ है। राधा-कृष्ण की भक्ति लाभ पहुंचाएगी।

तुला (रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
तुला राशि वाले जातकों के लिए यह माह व्यापार वृद्धि वाला रहेगा। अविवाहित जातक का विवाह तय होगा। न्यायालय संबंधी कार्य में सफलता मिलेगी। व्यर्थ व्यय होने के योग हैं। माता-पिता का सहयोग प्राप्त होगा। कृषि मध्यम रहेगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न होंगे। किसी नारी से हानि के योग बनते हैं। दिनांक 18, 25 शुभ है, 26 अशुभ है। शिवशक्ति की आराधना लाभप्रद रहेगी।

वृश्चिक- (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह माह स्थान परिवर्तन वाला रहेगा। विद्यार्थी को शिक्षा में बाधा आ सकती है। विवाह कार्य में सफलता मिलेगी। मानसिक व्यग्रता में वृद्धि होगी। यात्रा यदि जरूरी न हो तो न करें, हानि के योग हैं। शरीर कष्ट के योग हैं। किसी भी मित्र का सहयोग मिलेगा। नारी के जीवन में आने से उथल-पुथल होगी। किसी के बहकावे में न आएं। दिनांक 4, 16 शुभ हैं। 20 अशुभ है। राम-सीता की आराधना करें।

धनु (ये, यो, भा, भी, भु, भू, धा, फा, ढा, भे)
धनु राशि वाले जातकों के लिए यह माह राजनीतिक लाभ वाला रहेगा। कार्यों में सफलता मिलेगी। पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी। संतान पक्ष से लाभ प्राप्त होगा। किसी रिश्तेदार से मतभेद के योग बनते हैं। मित्र के साथ मिलकर कार्य में नया मोड़ आएगा। माता-पिता की धार्मिक यात्रा के योग बनते हैं। कृषि लाभ देगी। नौकरी सामान्य रहेगी। दिनांक 10, 28 शुभ है, 19 अशुभ है। राधाकृष्ण की आराधना लाभप्रद रहेगी।

मकर- (भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
मकर राशि वाले जातकों के लिए यह माह व्यापार लाभ वाला रहेगा। पारिवारिक कलह के योग बनते हैं। यात्रा पूर्ण विचार करके करें, हानि के योग बनते हैं। खर्च में कमी आएगी। बहन से सहयोग प्राप्त होगा। गलत संगति न करें, कष्ट आ सकता है। नौकरी में अफसर खुश रहेंगे। कृषि मध्यम रहेगी। बेचैनी बनी रहेगी। दिनांक 5, 15 शुभ है। माता दुर्गा की आराधना लाभप्रद रहेगी।

कुंभ- (गु, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, ढा)
कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह धार्मिक यात्रा वाला रहेगा एवं यात्रा से लाभ मिलेगा। न्यायालय संबंधित कार्यों में सफलता मिलेगी। घर में मांगलिक कार्य के योग हैं। व्यापार में लाभ होगा। कृषि में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न होंगे। तीर्थ में अच्‍छे संत से मुलाकात होगी। पिता को खुश करें। जीवन में उन्नति होगी। व्यापारिक सहयोग मिलेगा। दिनांक 1, 14 शुभ है, 21 अशुभ है। हनुमान चालीसा लाभप्रद है।

मीन- (दी, दू, झ, स, दे, दो, चा, ची)
मीन राशि वाले जातकों के लिए यह माह नौकरी में उन्नति वाला रहेगा। व्यापार मध्यम रहेगा। कृषि लाभप्रद रहेगी। स्वयं के वाहन से यात्रा न करें। पारिवारिक कलह के योग बनते हैं। स्वास्थ्य नरम-गरम हो सकता है। नेत्र संबंधी पीड़ा का योग है। किसी मित्र से अचानक लाभ मिलेगा। भाई को कष्ट के योग बनते हैं। ईष्ट कामना पूर्ण होने के योग बनते हैं। दिनांक 7,14 शुभ है। 18 अशुभ है। रामरक्षा स्तोत्र का पाठ लाभप्रद रहेगा।

Tuesday, May 1, 2012

मई 2012 : ज्योतिष की नजर से


- सुरेंद्र बिल्लौरे

ग्रहों का परिभ्रमण एवं राशि परिवर्तन पृथ्वी के जीवों पर क्या प्रभाव डालता है, देखिए एक नजर :-

मई 2012 में मंगल का परिभ्रमण सिंह राशि पर चल रहा है, यह स्थिति सोना-चांदी के भाव को उच्च बनाकर रखेगी। इनकी दृष्टि के कारण हल्का उतार भी आ सकता है। लाल वस्तुओं का भाव भी अच्छा रहेगा।

बुध का मेष राशि में परिभ्रमण रहने से स्वर्ण के भाव समान बने रहने के योग बनते हैं। बुध की स्थिति से पशुओं पर विपत्ति, कष्ट आएगा। सूर्य का मेष राशि में परिभ्रमण पूर्व के देशों में सुख-शांति देगा। पश्चिम के देशों में आपत्ति एवं विद्रोह का भय रहेगा। दक्षिण के देशों में दुर्भिक्ष का भय रहेगा। उत्तर के देशों में अशांति बनी रहेगी, साथ ही युद्ध की आशंका रहेगी।

इस माह शुक्र का परिभ्रमण लोगों को सुख-शांति प्रदान करेगा। शनि भी सामान्य फल दे रहा है। मई माह में गुरु की राशि का परिवर्तन होना अर्थात् गुरु मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। जिससे स्त्रियों पर कष्ट आएंगे, नाना प्रकार की ‍पीड़ाएं एवं रोग उत्पन्न होने का भय रहेगा।

पशु-पक्षियों पर जैसे हाथी, घोड़े, गधे इन पर भी पीड़ा आएगी। अच्छे परिणाम स्वरूप अनाज सस्ता होगा। सूर्य का भी राशि परिवर्तन कर वृषभ राशि में प्रवेश करने से दक्षिण के देशों में सुख-शांति होगी, उत्तर तथा पश्चिम के देशों में पीड़ा रहेगी। पूर्व के देशों में पीड़ा, युद्ध का भय एवं अशांति रहेगी।

बुध राशि परिवर्तन कर वृषभ राशि में परिभ्रमण करेंगे इससे पृथ्वी पर सर्वत्र अशांति व कलह होगा। शुक्र का परिभ्रमण (वृषभ राशि में) लोगों को सुख-शांति प्रदान करेगा। शुक्र, बुध, सूर्य, गुरु एवं केतु सभी का एक ही राशि (वृषभ राशि में) में परिभ्रमण करने से पंचग्रही योग बन रहा है, जिससे रक्तपात, आतंकवाद एवं कहीं-कहीं जलप्लावन एवं वायु दुर्घटना होगी।

इस माह की कुंडली को आकाशीय दृष्टि से देखे, तो शुक्र-सूर्य-बुध एक साथ होने से एवं वायु-दहन सप्तनाड़ी में स्थित होने से तेज गर्मी के साथ-साथ तेज गर्म हवा से लोग व्याकुल होंगे। शुक्र का स्वराशि में स्थित होने से कहीं-कहीं बादल की चाल के साथ बूंदाबांदी भी होगी। इस दौरान दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड के मैदानी भागों में लोग गर्मी से व्याकुल होंगे।

Friday, April 27, 2012

ध्दाद्श राशियों पर शनि का प्रभाव

ध्दाद्श राशियों पर शनि का प्रभाव --> वर्तमान में शनि तुला राशि पर  परिभ्रमण कर रहें है! इस राशि पर शनि का परिभ्रमण ध्दाद्श राशियों पर क्या
प्रभाव डालता है, जानिये !
मेष --> मेष राशि वाले जातको का सोंदर्य पर विशेष खर्च होगा,माता पक्ष को विशेष सुख मिलेगा, स्वास्थ्य का ध्यान रखे, रोग की सम्भावना बनती है!
वृषभ --> इस राशि वाले जातको के लिए शनि परेशानी वाला रहेगा, शत्रु पक्ष प्रबल होंगे,चोट की सम्भावना बनती है! ध्यान से हर कार्य करे!
मिथुन--> इस राशि वाली जातको को शनि अचानक लाभ दे सकता है,नोकारी वालो की उन्नति होगी,भाई से सुख प्राप्त होगा, स्वास्थ्य की परेशानी रहेगी!
कर्क--> इस राशि वाले जातको को शनि व्यापार में सफलता देगा,माता का पक्ष  सुखी होगा, यात्रा के योग बनेगे, संगति का ध्यान रखे,गलत कार्य में नुकसान होगा!
सिहं -->इस राशि वाले जातको शनि सुख प्रदान करेगा, पत्नि पक्ष से लाभ प्राप्त होगा, संगति का ध्यान रखे!
कन्या-->इस राशि वाले जातको के लिए शनि सुख-सम्रध्दी में वृध्दि देगा, व्यापार से लाभ मिलेगा, भाई की स्थिति में सुधर होगा!
तुला--> इस राशि वाले जातको को शनि थोड़ी परेशानी देगा, व्यर्थ के कामो में धन का व्यय होगा, शत्रु पक्ष नुकसान कर सकता है, बिधार्थी को
सफलता मिलेगी!
वृश्चिक --> इस राशि वाले जातको को शनि उच्च शिक्षा में सफलता दिलाएगा, पत्नि पक्ष से लाभ मिलेगा, भाई को सुख प्राप्त होगा, नॉकरी में उन्नति होगी!
धनु --> इस राशि वाले जातको को शनि तरक्की दे सकता है, पिता को विशेष लाभ मिलेगा,आपका कुटुंब पर विशेष खर्च होग, माता को कष्ट हो सकता है!
मकर --> इस राशि वाले जातको को शनि धर्म में आस्था जगायेगा, भाई  से सहायता मिलेगी, किसी से भूमि सम्बन्धी विवाद हो सकते है,
व्यय अधिक होगा!
कुम्भ --> इस राशि वाले जातको को शनि थोड़ा परेशान करेगा,व्यापार में परेशानी होगी, शिक्षा के कार्य में परेशानी आएगी,शत्रु का भय रहेगा,
फालतू खर्च होगा, यात्रा के योग बनेगे!
मीन --> इस राशि वाले जातको को शनि मिश्रित फल देगा, घर में मांगलिक कार्य होंगे,दाम्पत्य जीवन में परेशानी आ सकती है, कोर्ट कचहरी
में खर्च हो सकता है, शारीरिक विकार के योग बन सकते है!
शनि से जिनको विपरीत असर हो,वह जातक निम्न उपाय करे!
काला कपड़ा,उड़द की दाल, लोहा,सरसों का तेल,काला फुल का दान शुभ प्रभावकारी होगा!  ये नही कर सके तो,शिव जी को ताम्बे का नाग चढ़ाना भी लाभ देता है!
ये मन्त्र का जाप करने से भी लाभ मिलेगा!---मन्त्र --> शं शानैस्चराव नम:






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Thursday, April 26, 2012

baishak ki purnima pr tirth snan krne pr svrg ki prapti hoti hai.

Monday, April 23, 2012

शादी के दिन राशी अनुसार करे पूजन

सुरेंद्र बिल्लौरे-->  शादी के दिन राशी अनुसार करे पूजन 

अक्षय तृतीया हिन्दू धर्मानुसार (हिन्दी पंचांग) वैशाख शुक्ल पक्ष 3 तीज के दिन आती है। वैवाहिक मुहूर्त के हिसाब से यह एक ऐसी तिथि है, जिसमें बिना मुहूर्त के भी जातक की शादी इस दिन की जा सकती है। इस बार अक्षय तृतीया मंगलवार, 24 अप्रैल 2012 को आ रही है। इस दिन जिनका विवाह है, वह जातक क्या करें या किस देवी-देवता का पूजन करें, ताकि उनके गृहस्थ जीवन में सुख, शांति व वैभव बना रहे। आइए जा‍नते हैं : -

मेष- इस राशि वाले जातक भगवान गणेशजी के दर्शन करें एवं 'गं गणपतये नम:' की 9 माला करें।

वृषभ- इस राशि वाले जातक कन्या का पूजन करें एवं दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

मिथुन- इस राशि वाले जातक शि‍वशक्ति की आराधना करें।

कर्क- इस राशि वाले जातक गुरु के दर्शन करें एवं शिवाष्टक या शिव चालीसा करें।

सिंह- इस राशि वाले जातक प्रात: सूर्य दर्शन करें एवं आदित्यह्रदयस्तोत्रम का पाठ करें।

कन्या- इस राशि वाले जातक माताजी (दुर्गा) के दर्शन करें एव गणेश चालीसा करें।

तुला- इस राशि वाले जातक राधाकृष्ण के दर्शन करें एवं कृष्णाष्टक या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' की माला करें।

वृश्चिक- इस राशि वाले जातक शिवजी के दर्शन करें एवं शिव के द्वादश नाम का उच्चारण करें (बारह ज्योतिर्लिंग का नाम उच्चारण करें)।

धनु- इस राशि वाले जातक दत्त भगवान के दर्शन करें एवं गुरु का पाठ करें।

मकर- इस राशि वाले जातक हनुमानजी के दर्शन करें एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।

कुंभ- इस राशि वाले जातक राम-सीता के दर्शन करें एवं रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।

मीन- इस राशि वाले जातक श्री गणेश या सांईं बाबा के दर्शन करें एवं 'बृं बृहस्पते नम:' की 9 माला करें।

उक्त उपाय करने से आपके दांपत्य जीवन में खुशियों की बगिया खिली रहेगी।

Wednesday, April 18, 2012

तिथि के अनुसार आहार-बिहार --

तिथि के अनुसार आहार-बिहार --> प्रत्येक जीव को भोजन की आवश्यकता होती है, मनुष्य बुध्दिजीवी प्राणी 
है! वह हमेशा स्वस्थ एवं आनन्दमय जीवन जीना चाहता है! हमेशा स्वस्थ एवं आनन्द वाले जीवन के लिए 
किस दिन वस्तु का भोजन में परित्याग करे जिससे आप अच्छा जीवन जी सके जानिए!
 उपरोक्त लेख में आपने ध्दाद्शी तक आहार बिहार देखा, आगे देखे और क्या आहार बिहार होना चाहिए!
१.--> तेरस के दिन बैगन खाना निषिध्द है, उपरोक्त वताये गये, नियम ( एकादशी,ध्दाद्शी, तेरस ) को न पालन 
करने से पुत्र का नाश होता है!
२.--> अमावस्या,पूर्णिमा,संक्रांति चतुर्दशी और अष्टमी,रविवार,श्राध्द एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषिध्द है!
विशेष--> रविवार के दिन अदरक भी नही खाना चाहिए! 
१.--> कार्तिक मास में बैगन और माघ मास में मुली का त्याग करना चाहिए!
२.--> अंजलि से या खड़े होकर जल नही पीना चाहिए! 
३. जो भोजन लड़ाई-झगड़े करके बनाया गया हो, जिस भोजन को किसी ने लांग  दिया हो, जी खाने को एम् 
सी वाली स्त्री ने छू लिया हो, वः भोजन नही करना चाहिए! क्योकि वह भोजन राक्षस भोजन होता है!
४.--> लक्ष्मी प्राप्त करने वाले को रत में दही और सत्तू नही खाना चाहिए! यह नरक की प्राप्ति करता है!
 

Wednesday, April 11, 2012

vastu se kre grh nirman

वास्तु से करे ग्रह निर्माण :-  प्रत्येक  परिवार की पहली आवश्यकता होती है, अपना स्वयं का घर! मध्यमवर्ग इस सपने को सजोने के लिए जीवन भर संघर्ष करता है! जिस समय यह सपना सच होने जा रहा हो,तो हमे वह घर पूर्ण रूप से समृध्दी दे ,इसका ध्यान रखते हुए वास्तु से करे ग्रह निर्माण!
           भूमि पर ग्रह निर्माण करते समय यह ध्यान रखे की भूमि (प्लाट) के अग्नि कोण मे पाक ग्रह (रसोई ग्रह ),दक्षिण मे शयन ग्रह नेर्यत्त्र कोण मे अस्त्र शस्त्रागार पश्चिम मे भोजन करने का ग्रह , वायव्य कोण मे धन रखने का ग्रह ,ईशान मे देवालय एवं उत्तर मे जल रखने का ग्रह ,उत्तरपूर्व के  मध्य बाथरूम होना चाहिए !दूध, दही ,घी ,सिरका,आचार का स्थान पाकशाला मे या पाकशाला के बगल मे होना चाहिए! श्रृंगार एवं औषधि सामग्री शयन ग्रह के बगल मे होना चाहिए !विद्यार्थी के पढने का कमरा देवालय के बगल मे होना चाहिए !घर के पास बड़,पीपल ,इमली ,कैथ ,निम्बू ,कांटे वाले एवं दूध वाले वृक्ष नै होना चाहिए! इनके होने से धन की हानि होती है! विशेषकर घर के दक्षिण और पश्चिम  भाग मे इनका होना निश्चित है!
             कुआ एवं जल  का स्थान मुख्य ध्दार से पूर्व ईशान ,उत्तर अथवा पश्चिम मे होने से धन प्राप्त होता है !
सोभाग्य  में बढ़ोत्री होती है! अग्निकोण में सन्तान हानि, दक्षिण में ग्रहिणी नाश, नेरत्य कोण में ग्रह मालिक का नाश एवं वायु कोण में भय, चिंता बनी रहती है!
भवन में स्तम्भ लगाना पड़ते है, अत:स्तम्भ लगाने की आवश्यकता हो, तो स्तम्भ सम संख्या में लगवाना चाहिए!इनकी संख्या यदि विषम हो, तो अशुभ फल देते है!
पूर्ण रूप से उपरोक्त विधि को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण करने से घर में सुख समृध्दी यश, वैभव शांति प्राप्त होती है!

Tuesday, April 10, 2012

यात्रा के पहले विचार

यात्रा के पहले विचार  ->हम जब भी यात्रा रपर निकलते है,तो मन में  उमंगता, उत्साह रहता है!एवं यह विचार रहता है, कि यात्रा में अत्यधिक आनन्द लेंगे!यदि किसी अच्छे कार्य के लिए जा रहे हो, तो मन में यह विचार
रहता है,कि हमारा कार्य सफल हो! यात्रा में कार्य सफल करने के लिए यात्रा से  पहले करे कुछ प्रयोग !
यात्रा में जाते समय क्या पहनकर जाये एवं क्या खाकर जाये!
रविवार को नीला वस्त्र पहने एवं  मिश्री ओर पान खाकर जाये !
सोमवार को हरा वस्त्र पहने एवं खीर खाकर जाये!
मंगलवार को लाल वस्त्र पहने एवं धनिया खाकर जाये!
बुधवार को पीला वस्त्र पहने एवं मिठाई खाकर जाये!
गुरुवार को सफ़ेद वस्त्र पहने एवं दही खाकर जाये!
शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहने एवं माखन या दूध पीकर जाये!
शनिवार को काला वस्त्र पहने एवं तिल खाकर जाये!   
! इसी के साथ अपने कुलदेवता एवं इष्ट देवता का स्मरण
करके निकले ! उपरोक्त प्रयोग करके जाने से  अवश्य सफलता मिलेगी!

Saturday, April 7, 2012

अप्रैल 2012 : क्या कहती है आपकी राशि

- सुरेंद्र बिल्लौरे
ND

मेष :
मेष राशि वाले जातकों के लिए यह माह धार्मिक कार्यों वाला रहेगा। स्त्री पक्ष के वर्चस्व में वृद्धि होगी। वाहन सावधानी से चलाएं। दुर्घटना का योग बनता है। यात्रा से हानि के योग बनते हैं। पुराने मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार अच्छा रहेगा। नौकरी में अधिकारी से सामंजस्य बिठाकर चले। कृषि लाभ देगी। दिनांक 4, 16 शुभ। 21 अशुभ है। देव‍ी आराधना लाभप्रद रहेगी।

वृषभ :
वृषभ राशि वाले जातकों के लिए अप्रैल का माह व्यापार में लाभ वाला रहेगा। संतान पर विशेष खर्च होगा। पत्नी को पीड़ा के योग है। शत्रु पक्ष की हार होगी। कृषि मध्यम रहेगी। उन्नति के मार्ग खुलेंगे। ससुराल पक्ष से सहयोग प्राप्त होगा। किसी के बहकावे में न आए, हानि हो सकती है। दिनांक 5, 25 शुभ है। 6 अशुभ। राम स्तुति लाभप्रद है।

मिथुन :
मिथुन राशि वाले जातकों के लिए यह माह सम्मान प्राप्ति वाला रहेगा। व्यापार में लाभ होगा। कृषि सामान्य लाभ देगी। नौकरी में उन्नति के योग है। विद्यार्थी वर्ग को सफलता मिलेगी। संतान को कष्ट के योग है। रिश्तेदार से सहयोग प्राप्त होगा। किसी मित्र से अनबन के योग है। पर्यटन स्थल के योग है। दिनांक 6, 12 शुभ। 8 अशुभ है। शिव शक्ति की आराधना करें।

कर्क :
ND
कर्क राशि वाले जातकों के लिए यह माह भूमि संबंधी लाभ वाला रहेगा। विद्यार्थी को परेशानी रहेगी। व्यापार अच्छा रहेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। बहन पक्ष को कष्ट के योग बनते हैं। माता-पिता को मानसिक कष्ट रहेगा। सामाजिक गतिविधियों में सम्मान बढ़ेगा। दिनांक 12, 30 शुभ है। 3 अशुभ है।

सिंह :
सिंह राशि वालों के लिए यह माह पराक्रम वृद्धि से लाभ वाला रहेगा। पत्नी पक्ष का लाभ मिलेगा। कृषि सामान्य रहेगी। व्यापार लाभ प्रदान करेगा। नौकरी में उन्नति होगी। परिवार से सहयोग प्राप्त होगा। अनजान व्यक्ति से दोस्ती‍ के योग बनते है। स्त्री से हानि के योग बनते है। दिनांक 10, 28 शुभ है। 14 अशुभ है। श्रीकृष्ण की आराधना करें।

कन्या :
कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह माह पराक्रम से लाभ वाला रहेगा। शिक्षा में उन्नति होगी। नौकरी में स्थानांतरण के योग बनते है। व्यापार ठीक रहेगा। कृषि लाभप्रद रहेगी। गलत‍ दिशा में लगाव की संभावना बनती है। ध्यान रखें। शत्रु पक्ष से सावधान रहे। भाई से सहयोग प्राप्त होगा। मामा पक्ष को कष्ट के योग बनते है। दिनांक 8, 14 शुभ है। दिनांक 18 अशुभ। दुर्गा आराधना करें।

तुला :
तुला राशि वाले जातकों के लिए अप्रैल का माह व्यापार में उत्तम लाभ वाला रहेगा। शारीरिक पी‍ड़ा दूर होगी। अविवाहित के संबंध तय होंगे। देश-विदेश यात्रा के प्रबल योग बनते है। किसी मित्र से धोखा हो सकता है, अत: ध्यान रखें। माता-पिता का सहयोग प्राप्त होगा। दिनांक 13, 26 शुभ। 10 अशुभ है। शिव आराधना करें।

वृश्चिक :
वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह माह मिश्रित फल वाला रहेगा। विद्यार्थी को अच्छा लाभ मिलेगा। व्यर्थ कार्यों पर अधिक खर्च होगा। परिवार या रिश्तेदारी में क्लेश हो सकता है, ध्यान दें। स्वास्थ्य संबंधी पीड़ा रहेगी। व्यापार ठीक रहेगा। नौकरी में तकलीफ आएगी। कृषि मध्यम रहेगी। यात्रा में हानि के योग है। दिनांक 5, 15 शुभ है। 2 अशुभ। लक्ष्मी आराधना शुभ है।

धनु :
धनु राशि वाले जातकों के लिए यह माह अचानक लाभ मिलने वाला रहेगा। राज्य सम्मान के योग बनते हैं। संतान से सुख प्राप्त होगा। स्वास्थ्य गड़बड़ रहेगा। विद्यार्थी वर्ग को रुकावट आ सकती है। कृषि लाभ मिलेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। पत्नी से लाभ मिलेगा। माता-पिता को कष्‍ट के योग बनते हैं। अपना मान-सम्मान समाज में बढ़ता दिखेगा। दिनांक 9, 27 शुभ है। 8 अशुभ। दुर्गा जी की आराधना लाभप्रद है।

मकर :
मकर राशि वाले जातकों के लिए अप्रैल का माह सफलता वाला रहेगा। लेखक एवं कवि के लिए अच्छा लाभ वाला रहेगा। खर्चों में कमी आएगी। व्यापार में उन्नति होगी। कृषि लाभ पहुंचाएगी। नौकरी में स्थानांतरण के योग है। पत्नी को कष्ट के योग बनत‍े हैं। ससुराल पक्ष से सहयोग प्राप्त होगा। पुराने मित्र से मिलन होगा। तीर्थयात्रा के योग है। दिनांक 7, 16 शुभ। 13 अशुभ है। कृष्ण आराधना लाभप्रद है।

कुंभ :
कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह धार्मिक लाभ वाला रहेगा। स्त्री पक्ष से लाभ मिलेगा। व्यापार सामान्य रहेगा। कृषि मध्यम लाभ देगी। नौकरी में सम्मान प्राप्त होगा। अपने आप पर विश्वास रखें। मानसिक सुख मिलेगा। घर पर मांगलिक कार्य के योग है। दिनांक 10, 22 शुभ। 18 अशुभ है।

मीन :
मीन राशि वाले जातकों के लिए यह माह मांगलिक कार्यों वाला रहेगा। व्यापार मध्यम रहेगा। कृषि लाभप्रद है। नौकरी में परेशानी आ सकती है। वाहन एवं यात्रा में नुकसान के योग है। स्वास्थ्य संबंधी पीड़ा रहेगी। माता-पिता को कष्ट आ सकत‍ा है। किसी मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। अचानक आया धन हानि दे सकता है। दिनांक 3, 12 शुभ है। 19 अशुभ है। शिव शक्ति की आराधना शुभ है !

Saturday, March 31, 2012

राम नाम है सुख का धाम

राम नाम है सुख का धाम  


जो आनंद सिंधु सुख रासी।
सीकर तें त्रैलोक सुवासी ।।

सो सुख धाम राम अस नामा।
अखिल लोकदायक विश्रामा।।

जो आनंद के समुद्र और सुख के भंडार है, जिनके एक बूँद से तीनों लोक सुखी हो जाते हैं, उनका नाम राम है। वे सुख के धाम है और संपूर्ण लोकों को शांति देने वाले है।

तुलसी दास कहत‍े है 'राम' शब्द सुख-शांति के धाम का सूचक है। राम की प्राप्ति से ही सच्चे सुख और शांति की प्राप्ति होती है।

राम सर्व शक्तिमान है। उनके भौहों के तेवर मात्र से सृष्‍टि की उत्पत्ति और विनाश होता है।

तुलसी दास जी कहत‍े है कि
उमा राम की भृकुटि विलासा। होई विश्व पुनि पावइ नासा।।
अर्थात् शिवजी कहते है (माँ पार्वती से)- हे उमा, राम के भौहों के इशारे पर संसार की उत्पत्ति और फिर विनाश हुआ करता है। हमारी आत्मा भी इस सृष्टि को पैदा करने वाले सर्व शक्तिमान परमात्मा का ही अंश है, जैसा कि गोस्वामी तुलसी दास कहते है।

वे कहते हैं कि जीव ईश्‍वर का अंश है। इसलिए वह अविनाशी चेतन, निर्मल और सहज सुख का भंडार है। जीव को सहज सुख प्राप्त करने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र से कुछ प्रेरणा लेना चाहिए। राम एक आदर्श पुत्र के साथ-साथ आदर्श पति व आदर्श भाई भी है। मनुष्य इन आदर्शों को अपने जीवन में अपना ले तो वह सर्व सुखमय हो जाए। परंतु मानव सिर्फ राम की पूजा में लिप्त रहता है, उनके चरित्र को जीवन में नहीं उतारता। सच्ची पूजा वही है, जो राम के चरित्र का अंश मात्र ही अपना ले, तो जीवन धन्य हो जाए।

भक्त को सरल और निष्कपट भाव से सदा संतुष्ट रहना चाहिए। उसे लाभ हानि, सुख-दुख आदि से ऊपर उठ जाना चाहिए। जो प्रभु को सर्वव्यापक मानता है और जिसे हर व्यक्ति में परम पिता का प्रकाश समाया हुआ दिखाई देता है। वह सपने में भ‍ी किसी छल-कपट का व्यवहार नहीं कर सकता।

जो अपनी इच्छा को प्रभु (राम) की इच्छा अधीन कर देता है। उसे लोक-परलोक के सुख प्राप्त हो जाते है और वह अनंत राम यानी प्रभु में समा जाता है।

अत: राम नवमी के दिन हम प्रभु श्रीराम के चरित्र का सिर्फ गुणगान न कर, उनके चरित्र से कुछ ग्रहण करके अपने जीवन को धन्य बनाएँ और प्रभु में लीन हो जाएँ।

Friday, March 30, 2012

राम नवमी पर विभिन्न राशि के जातक क्या करें :-

श्री शुभ २०६९ शक:१९३४ में अर्थात इस वर्ष शनि तुला राशि में रहेंगे! जिससे कन्या,तुला एवं वृश्चिक राशि
वालो को शनि की साढ़े साती रहेगी! कन्या राशि वालो को शनि की उतरती साढ़े साती का प्रभाव रहेगा!
रजतपाद होने से शनि लाभप्रद होगा! तुला राशि को लोह्पद से साढ़े साती का प्रभाव विरोध,हनी,मतभेद,
मानसिक क्लेश एवं प्रत्यारोप वाला रहेगा!  वृश्चिक राशि के लिए ताम्रपाद होने लाभ हनी सामान रूप से रहेगी!
अत: रामनवमी पर राम जी के साथ उपरोक्त राशि वाले हनुमान जी की सेवा,अर्चना करे तो अत्यंत लाभ मिलेगा!  देखे १२ राशि वाले जातक रामनवमी पर क्या आराधना करे!

मेष- श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ!

वृषभ-राम जानकी स्त्रोत करे ! 

मिथुन- इंद्रकृत रामस्त्रोत का पाठ !

कर्क-राम स्तुति एवं शिवाष्टक का पाठ करे!

सिंह- श्री रामाष्ट्‌कम का पाठ।

कन्या- श्रीराम के साथ हनुमानाष्टक का  पाठ।

तुला- श्री हनुमान के लिए  वजरंगवान का पाठ करे!

वृश्चिक- रामायण का अयोध्याकांड  का पाठ करे!

धन-श्री रामस्त्रोत का पाठ करे !

मकर-  श्री रामरक्षा स्त्रोत कवच का पाठ!

कुंभ- सुंदरकांड का पाठ करे! 

मीन-जानकी के साथ रामजी की स्तुति करे!

Friday, March 23, 2012

गणगौर उत्सव


गणगौर उत्सव राज्यस्थान एवं निमाड़ का
पर्व है ! यह त्यौहार शिव एवं पार्वती के आपसी रिस्तो पर आधारित है अर्थात शिव  पार्वती का पूजन इस त्यौहार में होता है
चेत्र वदी ११ से इस त्यौहार की शुरुवात होती है. अमावस्या को घुन्घरती है.( विशेष भोग लगता है,लापसी एवं गुड का)
 एवं चेत्र सुदी २ के दिन पाठ बैठती है, मतलब श्रंगार होता है, माता जी का ! चेत्र सुदी ३ को विशेष पूजन होता यह दिन 
गणगौर तीज के नाम जाना जाता है. इस दिन महिलाये गणगौर का पूर्ण मन से पूजन करती है! फिर विसर्जन होता है!

नवरात्रि में करे राशी अनुसार दी आराधना

नवरात्रि में करे राशी अनुसार दी आराधना -->
प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में सुख यश-वैभव,आर्थिक-मानसिक 
एवं शारीरिक सुख की चाहत रहती है!नवरात्री में करे उपरोक्त सुख पाने के लिए राशी अनुसार देवी आराधना !
 मेष --> ॐ शिवाय नम:
वृष--> ॐ मातंगी नम:
मिथुन-->ॐ शिव शक्त्यै नम:
कर्क-->ॐ आनन्द लक्ष्मी नम:

सिंह-->ॐ दीप लक्ष्मी नम:
कन्या-->ॐ सर्वमन्त्र मयी  नम:
तुला-->ॐ अम्बे नम:
वृश्चिक-->ॐ जयंती नम:
धनु-->ॐ विधा लक्ष्मी नम:
मकर-->ॐ आध नायकायी नम:
कुंभ  -->ॐ  शाम्भवी नम:
मीन-->ॐ कात्यायनी नम: 
उपरोक्त मन्त्र प्रत्येक राशी वाले  ११ माला रोज करे,यदि इतनी न हो पाए तो १ माला अवस्य करे! यह आराधना प्रथम दिन से न क्र पाए तो दुसरे दिन से भी क्र सकते है! आपके मनोरथ भगवती पूर्ण करेगी ! यही कमाना है!

नववर्ष २०६९

Durga Puja method नववर्ष संवत २०६९ आप सबके के लिए मंगलमय हो,
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 गुरु का परिभ्रमण -->चन्द्र कुंडली अनुसार जब गुरु परिभ्रमण पर रहते है,किस स्थान पर क्या परिणाम देते है,एवं उनसे क्या लाभ या हानि होती है!
जानिये!
प्रथम भाव में-->आर्थिक कष्ट चिंताए घेरती है,यात्रा होती है! परन्तु रिश्तेदारों से मनमुटाव होता है!
ध्दितीय भाव में--> घर में ख़ुशी आती है,अविवाहित का विवाह होता है,एवं ग्रहस्थी वाले के घर बच्चे का जन्म होता है,धन की प्राप्ति होती है!
अर्थात पूर्ण सुख मिलाता है! इसी के साथ शत्रुयो का नाश होता है!
तृतीय भाव में--> धन की कमी होती है,रिश्तेदारों से कटुता एवं कार्य में असफलता मिलाती है,बीमारी का भय रहता है,यात्रा में नुकसान होता है,
इसी के साथ स्थान परिवर्तन होता है!
चतुर्थ भाव में-->जातक किसी मित्र या रिश्तेदार से अपमानित होता है,जातक का गलत कार्य के लिय मन विचलित होता है, एवं चोरी का भय
बना रहता है!
पंचम भाव में-->राजकार्य में सफलता मिलाती है,उच्च अधिकारियो से सम्मान मिलता है,एवं जातक को नये पद की प्राप्ति होती है, सन्तान की प्राप्ति होती है,वेरोजगार को नोकरी मिलती है,घर शुभ कार्य होता है, गुरु के पंचम भाव में रहने से जमीन-जायदाद एवं एनी बैभव विलासिता की क्स्तुयो की खरीददारी होती है!
षष्टम भाव में--> घर में झगड़े होते है,रिश्तेदारों से मान मुटाव की स्थिति उत्पन्न होती है! एवं धन होती हा!
सप्तम भाव में--> परिवार में ख़ुशी आती है,शादी व नये सम्बन्ध होते है,धन की प्राप्ति होती है,बाहन सुख तथा बच्चे का जन्म होता है!
अष्टम भाव में-->कई प्रकार के कष्ट देता है!
नवम भाव में--> ज्ञान के साथ कार्य करने की दक्षता बदती है!
दशम भाव में--> बीमारी धन हानि होती है! जायदाद का नुकसान होता है, स्थान परिवर्तन होता! अर्थात जीवन कष्टमय हो जाता है!
एकादश भाव में--> जीवन में खुशिया आती है,धन की प्राप्ति होती है,भूमिहीन को भूमि मिलती है,अविवाहित का विवाह होता है!एवं ग्रहस्थी वाले
के घर बच्चे का जन्म होता है!
ध्दाद्श भाव में--> कष्टप्रद जीवन होता  है! मानसिक शारीरिक,बोध्दिक कष्ट होता है! 
गुरु विपरीत परिणाम दे तो, गुरु शांति करना चाहिये ,एवं गुरु का दान लक्ष्मी-नारायण मंदिर में या किसी गुरु को दे!
गुरु का यह दान -->पीला- फुल,पुखराज,पुस्तक,शहद,सोना, भूमि  
हल्दी- गांठ,पीला-वस्त्र,घी,चने की दाल,पीला-फल इत्यादि !