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Saturday, 26 March 2011

kumbh lgan ka vivran

धनिष्ट नक्षत्र के अंतिम दो चरणों ,शतभिषा के पूर्ण चरण  के साथ पूर्ण भद्र पद के तीन चरणों के मध्य कुम्भं राशी बनती है !कुम्भ राशी अपने अप मई एक बलिष्ट राशी है!इस राशी का स्वामी शनि देव है !मकर एवं मीन के मध्य विराजमान है!एवं लगन के बारे मई विस्तृत से जानिए !कुम्भ लग्न मई जन्म लेने वाले के लक्ष्ण निचे दर्शाए है !कुम्भ लग्न हो तो माता का शिर पश्चिम को जीर्ण वस्त्र कुछ काल कम्बल ओदा हो साधारण शित क्रू भोजन किया हो ,पिता घर पर न हो !स्त्रीया ४ ,२ एवं १ स्त्री बाद मे आइ  !   स्त्रियों मे एक गर्भिणी हो !बालक थोडा राये ,बालक के होठ  मोटे ,मस्तक लम्बा प्रकृति गर्म ये सारे लक्ष्ण कुम्भ राशी वाले के होते है !
            इस लग्न वाले के लिए बुध तथा गृह शुभ फलदायक इसके विपरीत चन्द्रमा ,सूर्य ,मंगल तथा गुरु दुःख दायक गृह होते है !इस लग्न मे जन्म  लेने वाले जातक की वृष मिथुन , तुला ,व  मकर राशी वालो से मित्रता  रहती है !परन्तु मेष ,कर्क ,सिह व वृषभ राशी वाले वालो से विरोध रहता है !इस लग्न मे जन्म लेने वाले जातक को कभी कभी पूर्वाभाश हो जाता है !कुम्भ लग्न वाले जातक की कुंडली मे सूर्य,बुध ,तथा गुरु तृतीय भाव मे हो तो सूर्य की महादशा पूर्ण सुख सम्पति देती है !
            कुम्भ लग्न मे शुभ ग्रह होने पर जातक के यजस्वी होने का योग बनता है !एवं नये कार्य व अविष्कार मे सफलता दिलाता है!
            कुम्भ लग्न मे लग्नधिपति शनि तथा धनेश गुरु का परस्पर यदि स्थान परिवर्तन हो तो बृहस्पति की महादशा मे जातक को मिश्रित फल मिलता है!कुम्भ लग्न छठा चंद्रमा हो तो जातक कमजोर होता है !एवं शक्त व नेदा रोगी हो सकता है !एवं दुर्घटना होने का भी रहता है!

Wednesday, 26 January 2011

happy-repuliceday

सभी भारतीयों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाए !

Sunday, 2 January 2011

meen--ka--svbhav

          राशी के प्रथम चरण में मेष एवं अंतिम चरण में मीन आता है! पूर्वाभाद्रपद के अंतिम चरण से रेवती नक्षत्र
के अंतिम चरण तक मीन राशी बिधमान रहती है! इस राशी का स्वामी गुरु है!
          इस लग्न में जन्म वाला जातक लग्न का स्वामी शुभ होने पर  सुंदर, रूपवान,धनी, ईमानदार अपने कार्य में
निष्ठां रखने वाला एवं कार्य क्षेत्र में माननीय पद पर पहुँचने वाला एवं सीधे स्वभाव वाला जरूरत मंद व्यक्ति की मदद
करने वाला होता है, एवं लेखक या कवि बनाने के योग बनते है! परन्तु लग्न में क्रूर ग्रह स्थित हो, या उसकी द्रष्टि
पड़ रही हो,तो जातक मादक द्रव्य लेने बाला या व्यभिचारी शराबी हो सकता है, अथवा होने के प्रबल योग रहते है!
लेखक, दुसरो की हमेशा सहायता करने वाला, गुप्त बिधा का ज्ञाता, देश भक्ति रखने वाला  व्यक्ति इसी लग्न में
पैदा होता है! इस लग्न के जातक समाज सेवी, राजनीती, तथा स्वास्थ्य सेवा में नर्स की नॉकरी करना ज्यादा पसंद
करते है!
          लग्नेश गुरु  तीसरे भाव में हो, तो भैयो की संख्या ज्यादा एवं बारहवे भाव में हो, तो पिता से सहयोग की सम्भावना बड़ती है!
        मीन लग्न में  उत्पन्न जातक की कुंडली में सातवे भाव में शनी या शुक्र की द्रष्टि पड़ जाये, तो तो पत्नी से तलाक होने संभावना बड़ जाती है!
        मीन लग्न में यदि शुक्र उच्च का हो तो व्यक्ति संगीत में रूचि रखने वाला, कलाकार बनाता है!
         मीन लग्न की कुंडली में मंगल बारहवे भाव में होने पर या उसकी दशा महादशा आने पर  किसी भी विभाग या
   देश का शासक बनाता है! परन्तु यदि शनी की द्रष्टि पड़ रही हो, तो जेल भिजवा सकता है!
         लग्नाधिपति गुरु यदि पंचम भाव में विराजमान हो, तो अनेक प्रकार की यात्रा करवाता है, एवं गुरु महादशा में उच्च पद पर पहुँचाता है!
         इस लग्न में बुध अच्छा नही होता है, इसकी (बुध) की महादशा में स्थान परिवर्तन कराता है! यदि बुध व्यय भाव में बैठा है, तो ग्रहस्थी में स्वास्थ्य खराब, मित्र, परिवार से झगडा करा सकता है!
      मीन लग्न वालो ने पुखराज धारण करना चाहिए!

      इति शुभम
 

Saturday, 1 January 2011

happy--new--year--2011

                         
                                                                                                             जय श्री क्रष्ण                 
सभी पाठको को नवबर्ष की शुभकामना ! नवबर्ष आप सभी के लिए मंगलमय हो! श्री क्रष्ण आप सभी को हर कदम
पर उन्नति एवं सुख- वैभव प्रदान करे! इसी कामना के साथ आपका
        पंडित सुरेन्द्र बिल्लोरे देवास
           (म. प्र.) भारत मो, ९८९३०७६३६५, 9479833629.