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Wednesday, 25 July 2012

प्रणब मुखर्जी : शुभ ग्रह बना रहे हैं राष्ट्रपति

 

प्रणब मुखर्जी का जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है, इसी नक्षत्र ने प्रणब को धैर्यवान, बुद्धिवान एवं प्रखर सोच वाला बनाया। मृगशिरा नक्षत्र के प्रभाव के कारण मुखर्जी राजनीति में आए।

प्रणब के जन्म के समय सूर्य वृश्चिक राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जिसने प्रणब दा को लोक-विख्यात बनाया। मंगल ने परिवारिक सुख एवं आर्थिक सुख दिया। गुरु एवं शुक्र ने आर्थिक सुख के साथ-साथ क्षमावान बनाया।

जन्म कुंडली में शनि कुंभ का होने से देश के प्रथम नागरिक तक का सफर प्रणब मुखर्जी ने तय किया। प्रणब का जन्म मंगल की महादशा में हुआ है। वर्तमान में केतु की महादशा चल रही है। केतु की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है, जो कि 16.2.2012 से 13.2.2013 तक रहेगी।
प्रणब का बुध लग्नेश में बैठा है, अत: इस अवधि में पद का शपथ ग्रहण फलीभूत होगा। 25.7.2012 को आनंद योग है, सुबह हस्त नक्षत्र 09.43 तक रहेगा, फिर चित्रा नक्षत्र रहेगा यह प्रणब दा के लिए फायदेमंद रहेगा। साथ ही 25 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग है, अत: इस शुभ मुहूर्त में देश के नए राष्ट्रपति का पद ग्रहण करना लाभप्रद रहेगा।

इस दौरान देश को नई उच्चाइयां मिलेंगी। जिसके सारे ग्रह उच्च के हों ऐसे व्यक्तित्व के हाथ में देश की बागडोर रहने से देश की यकीनन उन्नति होगी। आंतक पर नियंत्रण होगा। बाहरी विरोधी पर प्रभाव पड़ेगा। देश की राजनिति पर सीधा असर पड़ेगा।

25 जुलाई को नक्षत्र एवं योग के साथ चन्द्र की स्थिति, सूर्य की स्थिति प्रणब के अनुकूल रहने से देश को एक अच्छा राष्ट्रपति मिलेगा। शनि प्रणब को घमंडी बना सकता है, इसका उन्हें विशेष ध्यान देना होगा। किसी भी गंभीर मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए बुध अच्छा सहयोग देगा। प्रणब मुखर्जी को गणेश आराधना करना चाहिए।


महेंद्र सिंह धोनी

 

महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची शहर में हुआ। उनके जन्म के समय उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र चल रहा था, जिसने आपको देश का सर्वोच्च क्रिकेट खिलाडी़ बनाने के साथ-साथ भारतीय टीम की कप्तानी का मौका भी दिया। इतना ही नहीं देश-विदेश में ख्याति भी दिलाई।

जन्म के समय सूर्य मिथुन राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जिसने आपको आर्थिक संपन्न बनाया एवं कुंडली में बैठे सूर्य की स्थिति ने आपका भाग्योदय किया। सिंह के चंद्र ने मान-सम्मान दिलाया। कुंडली में चंद्र की स्थिति के प्रभाव से आपने अपने पराक्रम से धन एवं ख्याति अर्जित की। यह पारिवारिक सुख भी प्रदान करता है।

मंगल का शुक्र राशि में स्थित होने से दयावान स्वभाव का बनाता है। धोनी की कुंडली में बुध स्व-राशि मिथुन में विराजमान है, अत: यह धनवान एवं बुद्धिमान बनाता है। बुध की स्थिति अन्य कष्टों को भी दूर करती है।

गुरु भी वैभव प्रदान करता है। परंतु जातक हर समय कुछ न कुछ होते हुए भी असंतुष्ट रहता है। शुक्र भी आपको संपन्न बनाता है। पत्रिका में विराजित शनि के प्रभाव के कारण ही आपने माता-पिता एवं परिवार का नाम उज्ज्वल किया। आगे भी शनि की स्थिति उन्नति कराएगी।

आपके जन्म के समय शनि कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, जिसने आपको भारतीय टीम का कप्तान बनाया। कुंडली में राहु की स्थिति के कारण आप विपक्ष टीम को परास्त करने की क्षमता रखते है अर्थात् टीम को जीत दिलाने में राहु का योगदान रहा है। केतु के कारण आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है, गुर्दा से संबंधित तकलीफ हो सकती है, अत: ध्यान रखें।

जब भी कभी घोड़े की सवारी का मौका आए तो ध्यान रखें, इससे खतरा हो सकता है। आपके लिए राहु-केतु की शांति कराना बहुत फायदेमंद रहेगी। अत: अवश्य ही यह करना चाहिए।

महेंद्र का जन्म सूर्य की महादशा में हुआ है। जिसका भोग्यकाल 5 वर्ष 9 माह 21 दिन रहा। वर्तमान में राहु की महादशा चल रही है, जिसका प्रारंभ 28/4/2004 से हुआ है एवं 28/4/2022 तक रहेगी। राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा 10/4/2012 तक रहेगी, सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है एवं बुध की अंतर्दशा में बुध की प्रत्युंतर दशा 20/8/2012 तक चलेगी। इस दौरान गणेश की आराधना लाभप्रद रहेगी।

आपके लिए आगामी समय में अगस्त 2012 का समय ठीक ही रहेगा, सितंबर-अक्टूबर मध्यम रहेगा, नवंबर-दिसंबर अच्छा रहेगा। लेकिन जनवरी 2013 भाग्य में नया मोड़ ला सकता है। फरवरी-मार्च 2013 अनुयायी प्रशंसक का नया उत्साह आपके प्रति उभरेगा। मई-जून 2013 आपके लिए कष्ट वाला हो सकता है। पन्ना एवं पुखराज का संयुक्त लॉकेट धारण करना फलदाई रहेगा।

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गुरु का परिभ्रमण

गुरु का परिभ्रमण -->चन्द्र कुंडली अनुसार जब गुरु परिभ्रमण पर रहते है,किस स्थान पर क्या परिणाम देते है,एवं उनसे क्या लाभ या हानि होती है!
जानिये!
प्रथम भाव में-->आर्थिक कष्ट चिंताए घेरती है,यात्रा होती है! परन्तु रिश्तेदारों से मनमुटाव होता है!
ध्दितीय भाव में--> घर में ख़ुशी आती है,अविवाहित का विवाह होता है,एवं ग्रहस्थी वाले के घर बच्चे का जन्म होता है,धन की प्राप्ति होती है!
अर्थात पूर्ण सुख मिलाता है! इसी के साथ शत्रुयो का नाश होता है!
तृतीय भाव में--> धन की कमी होती है,रिश्तेदारों से कटुता एवं कार्य में असफलता मिलाती है,बीमारी का भय रहता है,यात्रा में नुकसान होता है,
इसी के साथ स्थान परिवर्तन होता है!
चतुर्थ भाव में-->जातक किसी मित्र या रिश्तेदार से अपमानित होता है,जातक का गलत कार्य के लिय मन विचलित होता है, एवं चोरी का भय
बना रहता है!
पंचम भाव में-->राजकार्य में सफलता मिलाती है,उच्च अधिकारियो से सम्मान मिलता है,एवं जातक को नये पद की प्राप्ति होती है, सन्तान की प्राप्ति होती है,वेरोजगार को नोकरी मिलती है,घर शुभ कार्य होता है, गुरु के पंचम भाव में रहने से जमीन-जायदाद एवं एनी बैभव विलासिता की क्स्तुयो की खरीददारी होती है!
षष्टम भाव में--> घर में झगड़े होते है,रिश्तेदारों से मान मुटाव की स्थिति उत्पन्न होती है! एवं धन होती हा!
सप्तम भाव में--> परिवार में ख़ुशी आती है,शादी व नये सम्बन्ध होते है,धन की प्राप्ति होती है,बाहन सुख तथा बच्चे का जन्म होता है!
अष्टम भाव में-->कई प्रकार के कष्ट देता है!
नवम भाव में--> ज्ञान के साथ कार्य करने की दक्षता बदती है!
दशम भाव में--> बीमारी धन हानि होती है! जायदाद का नुकसान होता है, स्थान परिवर्तन होता! अर्थात जीवन कष्टमय हो जाता है!
एकादश भाव में--> जीवन में खुशिया आती है,धन की प्राप्ति होती है,भूमिहीन को भूमि मिलती है,अविवाहित का विवाह होता है!एवं ग्रहस्थी वाले
के घर बच्चे का जन्म होता है!
ध्दाद्श भाव में--> कष्टप्रद जीवन होता  है! मानसिक शारीरिक,बोध्दिक कष्ट होता है! 
गुरु विपरीत परिणाम दे तो, गुरु शांति करना हाहिये,एवं गुरु का दान लक्ष्मी-नारायण मंदिर में या किसी गुरु को दे!
गुरु का यह दान है--> पीला कपड़ा, चने की दाल,सोने की वस्तु हल्दी की गाँठ,पीला फुल,पुखराज,पुस्तक,शहद,शक्कर,भूमि छाता इत्यादी देना चहिये! ,








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