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Tuesday 28 December 2010

kundli me rahu ki drsht yevm fal

            पिछले लेख में आपने पढ़ा कुंडली में प्रथम भाव से अष्टम भाव तक राहू की द्रष्टि पड़ती है, तो जातक को क्या सुभ- अशुभ फल देता है! आगे पढ़े नवम भाव से ध्दाद्श भाव तक राहू की द्रष्टि का जातक पर शुभ- अशुभ प्रभाव !
नवम भाव--> राहू की  पूर्ण द्रष्टि नवम भाव पर पड़ती है, तो जातक को आर्थिक- सम्पन्न, भोगी पराक्रमी एवं सन्तति -वान बनाता है! परन्तु बड़े भाई के सुख से वंचित कर देता है!
दशम भाव --> राहू पूर्ण द्रष्टि से दशम भाव को देखता है, तो राजसम्मान एवं उधोग वाला बनाता है, परन्तु माता -
विहीन बना सकता है! एवं जातक के पिता को कष्ट देता है!
एकादश भाव --> राहू पूर्ण द्रष्टि से एकादश भाव को देखता है, तो जातक को अल्प लाभ देता है! इसी के साथ जातक सन्तति कष्ट के साथ नीच कर्म में रत रहता है!
ध्दाद्श भाव --> राहू पूर्ण द्रष्टि से ध्दाद्श भाव को देखता है, तो जातक को शत्रुनाशक,कुमार्गी एवं गलत धन खर्च करने वाला एवं दरिद्री बनाता है!
विशेष --> राहू कुंडली में लग्न श्थान पर कर्क अथवा व्रश्चिक राशी का हो,तो जातक  सिध्दी प्राप्त कर ख्याति प्राप्त करता है! परन्तु राहू धनु अथवा मीन राशी का हो, तो पिशाच व्रत्ति उत्पन्न करता है!
                 राहू यदि शुभ श्थान में हो अथवा शुभ प्रभाव दे रह हो, तो जातक जीवन में  किसी जुआरी, शराबी या अपराध करने वाले के  सम्पर्क में रहने पर भी शुद्ध एवं, सात्विक प्रव्रत्ति का रहता है! 
           राहू कुंडली में अलग - अलग भाव में रहने पर जातक को क्या शुभ- अशुभ प्रभाव देता है, जानने के लिए
पढ़े आचार्य सुरेन्द्र. ब्लोग्सपोत.कॉमं
                                   इति शुभम                        
      

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