द्वितीय जानकारी में आपको मंत्रो का प्रयोग बता रहें है मंत्रो का प्रयोग केसे करना चाहिये एवं किस विधि से करना चाहिए ! अपने को साधक बनाने के नियम जानिये एवं किस स्थान पर करना चाहिए , जानिये !
साधना स्थल केसा हो -> मन्त्र साधना की सफलता में साधना का स्थान बहुत महत्व रखता है ! जो स्थान मन्त्र की
सफलता दिलाता है सिद्ध पीठ कहलाता है ! मन्त्र की साधना के लिए उचित स्थान के रूप में
तीर्थ स्थान , गुफा , पर्वत , शिखर , नदी , तट , वन , उपवन इसी के साथ बिल्वपत्र का व्रक्ष ,
पीपल व्रक्ष अथवा तुलसी का पोधा सिद्ध स्थल माना गया है !
आहार -> मन्त्र साधक को सदा ही शुद्ध व पवित्र एवं सात्विक आहार करना चाहिए ! दूषित आहार
को साधक ने नही ग्रहण करना चाहिए !
आपके एवं जनकल्याण के लिए कुछ प्रयोग दे रहें है !
सर्व विघ्न हरण मंत्र -> ॐ नम: शान्ते प्रशान्ते ॐ ह्रीं ह्रां सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा !
इस मन्त्र को नियम पूर्वक प्रतिदिन प्रात:काल इक्कीस बार स्मरण करने के पश्चात मुख
प्रक्षालन करने से तथा सायंकाल में पीपल के व्रक्ष की जड़ में शर्बत चढ़ाकर धूप दीप देने
से घर के सभी लोग शान्तमय निर्विध्न जीवन व्यतीत करते है ! इसका इतना प्रभाव होता
है कि पालतु जानवर भी बाधारहित जीवन व्यतीत करता है !
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